साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम “शब्द बाण” (भाग-77)
30 मार्च 2025
शैलेन्द्र ठाकुर । दंतेवाड़ा
नियमितीकरण की मांग को लेकर पंचायत सचिव इन दिनों हड़ताल पर हैं। उन्हें लगता है कि हमेशा की तरह इस बार भी सरकार उनके साथ छल कर रही है। पहले कांग्रेस ने न्याय योजना के नाम पर छला, फिर भाजपा की गारंटी भी सिर्फ चुनावी निकली। चुनाव से पहले भाजपा नेताओं ने उन्हें मोदी जी की 100 दिन वाली गारंटी दी, लेकिन 495 दिन बीतने के बाद भी न तो गारंटी मिली, न ही कोई वारंटी। अब किसके वादों पर ऐतबार करें।
किसी ने क्या खूब कहा है-
“इलाज- ए- दर्दे दिल मसीहा तुमसे हो नहीं सकता।
तुम अच्छा कर नहीं सकते, मैं अच्छा हो नहीं सकता।”
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बीआरसी का सौतिया डाह
सुकमा जिले के एक बीआरसी पर सौतिया डाह यानी सौतन के प्रति ईर्ष्या रखने वाला व्यवहार कर्मचारियों के साथ करने का आरोप मातहत कर्मचारियों ने लगाया है। उनका आरोप है कि कई महीने से उन्हें अटेंडेंस लगाने ही नहीं देते और वेतन रोके रखा है। परिवार के साथ जाकर बड़े अफसर से इसकी शिकायत भी की है। अब ये सरकार की कमजोरी है या कर्मचारियों को नियंत्रित करने का कोई सिस्टम, ये तो वही जानें। पर इस तरह के ईर्ष्या भाव और बदलापुर की रणनीति वाले अफसरों की पोस्टिंग लगातार नक्सल प्रभावित जिलों में हो रही है। आलोचना सहन नहीं कर पाने वाले एक पूर्व कलेक्टर तो विरोधियों के रिश्तेदारों और पूरे परिवार की कुंडली निकालकर उन्हें टॉर्चर करने की रणनीति पर काम करते काफी कुख्यात हो चुके थे। फिर गुरु गुड़ रह गए और चेला शक्कर हो गए वाला अंजाम तो होना ही है। उनके चेले अब कहर ढा रहे हैं।
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भीड़ जुटाने की चुनौती
दक्षिण बस्तर में मोटा भाई यानी केंद्रीय गृह मंत्री का प्रवास प्रस्तावित है। इस कार्यक्रम में भीड़ जुटाना भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा। वह भी ऐसे समय में जब पंचायत सचिव हड़ताल पर हैं, और महुआ फूल बीनने का सीजन चल रहा है। सचिवों की हड़ताल प्रान्त स्तरीय होने की वजह से उसे खत्म करवाने राज्य स्तर पर प्रयास तो चल रहा है, लेकिन हड़ताली सचिव इस बार किसी कमेटी के गठन वाले लॉलीपॉप को स्वीकारने तैयार नहीं दिख रहे हैं। अब 50 हजार से ज्यादा बैठक क्षमता वाले आयोजन स्थल पर भीड़ कैसे जुटेगी, इस पर मंथन हो रहा है।
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न क्यूआर कोड मिला, न डिस्काउंट
राज्य की अर्थव्यवस्था को कोरोना काल जैसे विपरीत हालतों में भी संभालने वाले मदिरा प्रेमियों को राहत अब तक नहीं मिली है। उनकी शिकायत है कि मदिरा दुकानों में ऑनलाइन भुगतान के लिए क्यूआर कोड की सुविधा अब तक नहीं मिली। न ही बजट से पहले मदिरा के दाम में कटौती की नीति का कोई फायदा हुआ है। जबकि सरकार ने इसकी घोषणा कर रखी है। घरवाली जेब की तलाशी लेकर नगदी खाली कर शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रयास करे, तो मोबाइल से क्यूआर कोड में भुगतान कर राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान कर सकते हैं। साथ ही क्यूआर कोड से भुगतान पर वास्तविक रेट पर इकोनॉमी बूस्टर पेय खरीद पाएंगे, लेकिन आबकारी विभाग के मैदानी अफसर ऐसा होने देना नहीं चाहते।
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रेत पर ठनी रार
जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा में रेत के उत्खनन और श्मशान घाट में बड़े पैमाने पर डंपिंग को लेकर बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच बयान युध्द चल रहा है। कांग्रेस नेत्री ने रेत माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप भाजपा पर लगाया तो भाजपा नेता ने भी पलटवार कर इसे ठेकेदारी छिन जाने की खीझ का असर बताया। आरोप-प्रत्यारोप के बीच असल मुद्दा ही गौण हो गया। मजेदार बात यह है कि यह रेत किसने निकाला और डंप किया, इसके बारे में न तो नगर पालिका को पता है, न ही कम्बल ओढ़कर घी खाने वाले खनिज विभाग को इसकी जानकारी है। खैर, जो भी हो, रात भर नदी से रेत निकालकर श्मशान घाट में आराम कर रहे दिवंगत आत्माओं को चैन की नींद नहीं सोने देने वालों के हिम्मत की दाद तो देनी ही पड़ेगी।
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पीछा नहीं छोड़ रहा भूतकाल
कहते हैं कि कर्म पीछा नहीं छोड़ते। कर्मों का फल भले ही तुरंत न मिले, लेकिन मिलता ज़रूर है। पर फल किसी अगले को मिले तो थोड़ी अजीब स्थिति बन जाती है। ऐसी ही स्थिति सुकमा जिले की हो रही है। यहां कलेक्ट्रेट में उग्र भीड़ के बेकाबू होकर प्रदर्शन करने वाला पुराना वीडियो अचानक सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इससे माहौल बिगड़ने की आशंका देखते हुए जिला प्रशासन को सफाई देने की नौबत आ गई। दरअसल, यह वीडियो 3 साल पहले का निकला, जब यहां पदस्थ तत्कालीन कलेक्टर के रवैये से नाराज संगठनों ने सुकमा कलेक्टर के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया था। स्थिति इतनी खराब हुई कि उक्त विवादित अफसर को लखमा दादी ने डीएमएफ वाले पड़ोसी बड़े जिले में शिफ्ट करवा दिया। नए जिले में भी साहब ने अपना हुनर दिखाया। तभी तबादले पर खुशी में खूब पटाखे फोड़े गए थे।
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मार-धाड़ हुई तेज
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अप्रैल के पहले सप्ताह दक्षिण बस्तर प्रवास पर पहुंच रहे हैं। नक्सल समस्या के समूल नाश के लिए मार्च 2026 की डेड लाइन तय कर चुके शाह के प्रवास के नाम से ही अंदर वाले दादाओं की बेचैनी बढ़ गई है। इधर
मोटा भाई के प्रवास के ठीक पहले पुलिस ने जमकर मार-धाड़ की है। दंतेवाड़ा की फोर्स ने 25 लाख के इनामी नक्सली सुधाकर समेत 3 को मार गिराया, तो अगले ही दिन सुकमा जिले की फोर्स ने 25 लाख के इनामी जगदीश समेत 17 नक्सलियों का एनकाउंटर कर दिया, वह भी उस इलाके में, जहां पहले गश्त पर निकलने वाली पुलिस पार्टियों के सकुशल लौटने की उम्मीदें कम ही होती थीं। एक ही घटना में सबसे ज्यादा 86 जवानों की शहादत का आंकड़ा भी इसी जिले के हिस्से में आया था। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि फोर्स के लिए हालात अब बदले हुए हैं।
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चलते-चलते…
चैत्र नवरात्रि पर इस बार शक्तिपीठ मां दंतेश्वरी मन्दिर की साज-सज्जा में कटौती कर दी गई है। पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है। व्यवस्थापक महोदय का टका सा जवाब है कि इस नवरात्रि पर भीड़ कम रहती है और जितनी चादर होगी, उतना ही पैर फैलाएंगे ना। पिछली नवरात्रि पर भंडारा व सांस्कृतिक कार्यक्रम में कटौती और जन प्रतिनिधियों द्वारा चंदा इकट्ठा कर कार्यक्रम के भुगतान की स्थिति भी निर्मित हुई थी। खैर, जो है सो हइये ही।
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