चित्रकोट में राजनीतिक ‘तीर्थाटन’ (शब्द बाण – 57)

चित्रकोट में राजनीतिक ‘तीर्थाटन’ (शब्द बाण – 57)

साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम शब्द बाण (भाग -57 )
शैलेन्द्र ठाकुर @ दंतेवाड़ा

चित्रकोट वाटरफाल में बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक बुलाकर सरकार ने लगता है मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया है। इस मनोरम स्थल पर बैठकर मंत्रियों द्वारा बस्तर के विकास पर हाईटेक मंथन करने की योजना बनी जरूर है, लेकिन बैठक से पहले ही बवाल मच गया है। यह बवाल बैठक आयोजन को लेकर नहीं, बल्कि दो दिन तक आम सैलानियों का प्रवेश बंद करने पर मचा है। इसके पीछे वीवीआईपी सुरक्षा की चिंता को मुख्य वजह बताया जा रहा है। गृहमंत्री के प्रभार वाले जिले में सुरक्षा को लेकर इतनी चिंता स्वाभाविक ही है, लेकिन
अब यह बैठक सरकार के गले की फांस बन गई है। न उगलते बन रहा है, न ही निगलते। वहीं विपक्षी कांग्रेसियों को इसे विष्णुदेव सरकार का पिकनिक बताने का मौका मिल गया है।
वैसे, इस तरह पूरे मंत्रिमंडल के सामूहिक ‘तीर्थाटन’ की यह प्रथा नई नहीं है। भूपेश कका के कैबिनेट ने भी कोरबा के सतरेंगा जलाशय में आलीशान क्रूज पर तैरते हुए राज्य के विकास पर हाईटेक मंथन किया था। इसके बाद राज्य का विकास कैसे हुआ, यह तो नहीं पता, लेकिन चुनाव में कका की सरकार ही निपट गई। अब देखना यह है कि इस बार प्राधिकरण की बैठक चित्रकोट में ही होती है या कहीं और।

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छोटे कर्मचारियों की बलि
जिला हॉस्पिटल दंतेवाड़ा में हालिया घटनाक्रम और लगातार मचे बवाल के बाद कुछ छोटे कर्मचारी सस्पेंड और बर्खास्त कर दिए गए। माना यह जा रहा है कि धधकती हुई ज्वालामुखी को फटने से बचाने के लिए कुछ निरीह कर्मचारियों की बलि दे दी गई। जबकि नियमों को ताक पर रखने वाले और जांच कमेटी के निर्देशों की अनदेखी करने वाले पूर्व सिविल सर्जन को अभयदान मिला हुआ है। इस धधकते ज्वालामुखी को फटने का मौका मिले तो कोरोना काल के कई सारे बिल-वाउचर गर्म लावा के साथ बहते हुए बाहर आ जाएंगे।

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फारेस्ट की भर्ती और अप्रोच
वन विभाग में भर्ती प्रक्रिया जारी है। इस बार फिजिकल टेस्ट से लेकर सब कुछ ऑनलाइन है। कुछ ज्यादा ही पारदर्शिता होने से नेता-अफसर तक परेशान हैं। कोई जुगाड़ चलने की गुंजाईश कम हो गई है। वजह यह है कि फिजिकल टेस्ट यानी दौड़-कूद वाले इवेंट में  उम्मीदवारों का डाटा तत्काल चिप के जरिए ऑनलाइन दर्ज हो रहा है। ठीक, टोल टैक्स बैरियर वाले फास्टैग की तरह। इससे पेंसिल से लिखने और बाद में हेर-फेर करने की पुरानी तकनीक पर लगाम कसता दिख रहा है।

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हरियाली पर ग्रहण
दंतेवाड़ा में मंदिर परिसर के सामने बने भव्य कॉरीडोर में हरियाली लाने गमलों में उगाए गए पौधे सूखने लगे हैं।  करोड़ों फूंकने के बाद महंगे पौधे तो मंगवाए गए, लेकिन इन पौधों को सींचने का इंतजाम ही नहीं किया गया। ऐसा ही हाल रहा तो हर साल नए-नए पौधे लाने का चलन बना रहेगा।
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कुएं में निकला पेट्रोल

दंतेवाड़ा जिले के गीदम में कुंए से पेट्रोल-डीजल निकलने की खबर वायरल हुई तो लोग चौंक उठे। लगा कि खाड़ी देशों को टक्कर देने की स्थिति में आ गए हैं। बाद में खुलासा हुआ कि पास वाले पेट्रोल पंप का टैंक लीक होने से पेट्रोल-डीजल कुंओं तक पहुंचने लगा था। इससे लोगों का उत्साह ठंडा पड़ गया।
वैसे भी, मुख्यमंत्री रहते डॉ रमन ने बॉयोडीजल उत्पादन का अभियान छेड़ा था। रतनजोत के पौधे जमकर लगाए गए और नारा दिया गया-
“डीजल नहीं खाड़ी से, वो तो मिलेगा बाड़ी से।”
यह योजना बाद में फ्लॉप शो बनकर रह गई।
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चाचाजी की तलाश

इस बार बाल दिवस पर अधिकांश गुरुजी चाचाजी की तस्वीर की तलाश में दुकान-दुकान भटकते दिखे। लेकिन चाचाजी को छोड़कर मामा, बुआ, दीदी सबकी फ़ोटो दुकानों में उपलब्ध थी। वैसे, अब व्यवसायी भी सूरजमुखी की तरह हो गए हैं। सत्ता के सूरज की तरफ मुंह घुमाकर व्यवसाय करना उनकी मजबूरी भी है और व्यवहारिक भी।
यही वजह है कि डबल इंजन सरकार में सिर्फ भाजपाई विभूतियों की तस्वीरों की पूछ-परख को देखते नए स्टॉक भी वैसे ही अपडेट करने लगे हैं।
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डीईओ की अदला-बदली

राज्य सरकार ने बस्तर के बीजापुर और नारायणपुर जिले में शिक्षा विभाग के डीईओ का तबादला कर सबको हैरान कर दिया। वह भी एक्सचेंज आफर की तरह आपस मे अदला-बदली कर के। विभागीय हलके में इस सिंगल आर्डर से हुए इस ट्रांसफर के मायने तलाशे जा रहे हैं। खैर, शिक्षा विभाग में ऐसे हैरत-अंगेज पोस्टिंग कोई नई बात नहीं है। पहले भी कई डीईओ व डीएमसी ऐसे ही बदले जाते थे।

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