साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम ‘शब्द बाण’ (भाग 81)
27 अप्रैल 2025
शैलेन्द्र ठाकुर । दंतेवाड़ा
प्रशासनिक फेरबदल के बाद दंतेवाड़ा व कोंडागांव जिले में नए साहब की आमद हुई है। फिलहाल निरीक्षणों का दौर ही चल रहा है। वहीं, कलेक्टरेट में संचालित दफ्तरों के स्टाफ़ साहब का मूड भांपने की कोशिश में लगे हुए हैं। अक्सर टेबलों से नदारद रहने वाले भी पूरी ईमानदारी से बैठे मिल रहे हैं। डर है कि पता नहीं कब साहब औचक निरीक्षण पर पहुंच जाएं। वैसे नए साहब ने समय का पाबंद होने और टेबल पर नेमप्लेट लगाने को लेकर सख्त हिदायत दी है। इससे आम जनता में थोड़ी खुशी तो है। वरना, किस टेबल पर कौन बैठता है, लंच टाइम कब शुरू और कब खत्म होता है, इसका पता लगाने में लोगों को काफी मेहनत करनी पड़ती थी।
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आबकारी का 6-12-24 फार्मूला
90 के दशक में लोकप्रिय रहे टेली सीरियल चंद्रकांता में पंडित जगन्नाथ का पांसा फेंकने वाला डायलॉग 6-12-26 लोगों की जुबान पर चढ़ गया था। इसे छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग ने भी थोड़े संशोधन के साथ अपना लिया है। आबकारी विभाग ने 6-12-24 का जो फार्मूला लागू किया है, उसका मतलब है दारू की 6 पूरी बोतल या 12 हाफ या 24 क्वार्टर एक व्यक्ति एक बार में दुकान से खरीद सकता है। पहले सिर्फ 2 पूरी बोतल या इसके समकक्ष छोटे यूनिट खरीदे जा सकते थे। सुरा प्रेमियों को खुश करने और अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए विभाग ने यह गज़ब का क्रांतिकारी कदम उठाया है। लिमिट बढ़ाने से कोचियों को भी सुविधा होगी, जो अनाधिकृत तौर पर विभागीय सहयोग से गांवों में रिटेल आउटलेट चला रहे हैं। रात 10 बजे के बाद शहर में भले ही दारू न मिले, पर दूरस्थ गांवों में मिल ही जाती है। सरकार ने ‘मनपसंद’ एप भी लांच कर दिया है, जिससे सुरा प्रेमी घर बैठे ही दुकान में उपलब्ध ब्रांड और रेट का पता लगा सकते हैं। मनपसंद एप लाने को लेकर कांग्रेसी नेता भले ही भाजपा सरकार पर निशाना जरूर साध रहे हैं, पर पिछली कांग्रेस सरकार ने खुद कोरोना काल में शराब की होम डिलीवरी की स्कीम चलाकर सुर्खियां बटोरी थी।
वैसे, सरकार की अर्थव्यवस्था थामने वाले आबकारी विभाग की स्थिति घर के इकलौते लाडले की तरह रहती है।
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78 लाख की मशीन और 90 लाख का डीजल
बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर का ऐतिहासिक दलपत सागर नवाचारों के चलते हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। अभी हाल ही में इस सरोवर में जलकुंभी हटाने 78 लाख की मशीन उतारी गई है, सफाई कितनी हुई, यह तो नहीं पता, लेकिन मशीन ने 90 लाख रुपए का डीजल पी लिया है, इसकी चर्चा खूब है। बता दें कि बस्तर में हल्बी बोली में एक कहावत प्रचलित है- आठ हाथ काकड़ी, 9 हाथ बीजा। इसका मतलब है कि 8 हाथ लंबाई वाले ककड़ी/खीरा में 9 हाथ लंबाई वाला बीज। बता दें कि पहले नाप जोख हाथ की कोहनी से लेकर उंगली के सिरे को एक यूनिट मानकर की जाती थी। तब मीट्रिक प्रणाली चलन में कम थी। दलपत सागर वाला किस्सा भी इसी ककड़ी के बीज से मिलता जुलता है।
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आपदा में अवसर
दंतेवाड़ा में रेल्वे फाटक पर बहुप्रतीक्षित ओवरब्रिज निर्माण कार्य शुरू होने ही वाला है, इस बीच रेल्वे फाटक के दोनों तरफ अचानक नाली निर्माण की हड़बड़ी मच गई है। पूरा खेल बजट का है। ताकि ओवरब्रिज बनने से पहले निर्माण, भुगतान हो जाए, भले ही बाद में नई नवेली नाली नए निर्माण कार्य में दब जाए। ओवरब्रिज और इसके सर्विस रोड के लिए पहले 32 मीटर चौड़ाई तक मार्किंग की गई थी। फिर अब 45 मीटर की चौड़ाई रखे जाने की चर्चा है। वैसे, इस तरह का निर्माण कार्य करने की परंपरा नई नहीं है। दशक भर पहले इस सड़क के एनएच घोषित होते ही ऐसा कारनामा किया जा चुका है।
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किस्सा पुराने कलेक्ट्रेट का..
दंतेवाड़ा जिले में पुराना कलेक्टर कार्यालय भवन में वैसे तो 5 बड़े विभागों के दफ्तर चल रहे हैं, और सभी एक से बढ़कर एक व सम्पन्न विभाग हैं। आरजीएम-शिक्षा, खनिज और ट्रेजरी जैसे विभाग, जिनके नाम से ही संपन्नता झलकती है। पर, इनमें से कोई भी विभाग इस भवन के सार्वजनिक प्रसाधनों की साफ-सफाई पर अठन्नी भी खर्च नहीं करना चाहता। सब एक दूसरे विभाग का मुंह ताकते दिखते हैं। हालात यह हैं कि पूरे भवन में कार्यरत कर्मचारी और आने वाले जन सामान्य इन प्रसाधनों का इस्तेमाल करने से कतराते हैं।
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पोषक आहार से हो रहे बीमार
दक्षिण बस्तर में आंगनबाड़ी का खाद्यान्न भी अब सवालों के घेरे में है। कुछ दिन पहले एक आंगनबाड़ी केंद्र में पकाए गए पत्ता भाजी की सब्जी खाकर आधा दर्जन ग्रामीण हॉस्पिटल पहुंच गए थे। इसके बाद अब घटिया पौष्टिक आहार से फ़ूड पॉइजनिंग की शिकायत मिली है। इसका ठीकरा अक्सर सरकारी ‘सप्लाई’ एजेंसी ‘सी-मार्ट’ पर फोड़कर विभागीय अफसर साफ बच निकलते हैं। जब से पिछली सरकार ने रेडी टू ईट तैयार करने का काम समूहों से छीन कर सी-मार्ट को दिया, तब से इस विभाग के अफसर हमेशा किसी दूल्हे के फूफा की तरह ही रूठे नजर आते हैं। न तो केंद्रों का ठीक से निरीक्षण करते हैं, न ही पोषक आहार की मॉनीटरिंग। अफसरों की अकर्मण्यता का खामियाजा नौनिहालों व गर्भवती-शिशुवती माताओं को भुगतना पड़ रहा है।
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बारिश में डामरीकरण वाला नवाचार
किवदंती बन चुके दंतेवाड़ा बैलाडीला सड़क निर्माण का काम हमेशा सुर्खियों में रहता है। करीब 3 साल तक लोगों की नाक में दम कर रखने के बाद अब इसका डामरीकरण हुआ है, तो काफी राहत मिली है। लेकिन ठेकेदार ने बरसते पानी में डामर बिछाने की जो हड़बड़ी दिखाई उससे सड़क के टिकाऊ होने को लेकर बचेली वासी खासे आशंकित हैं। कई लोगों ने तो बरसते पानी में डामरीकरण वाले नवाचार की फ़ोटो-वीडियो रिकॉर्ड कर रखा हुआ है, ताकि सनद रहे और वक़्त पर काम आवे।
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