साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम ‘शब्द बाण‘ (भाग-63)
30 दिसंबर 2024
शैलेन्द्र ठाकुर । दंतेवाड़ा
तीनों ग्रह एक सीध में…
जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा संभवतः इकलौता ऐसा इलाका है, जहां रेसिडेंशियल स्कूल और सरकारी शराब दुकान के बीच महज 2-3 सौ मीटर का ही फासला है। अब इसी लाइन में वन मंदिर के रूप में वन विभाग की भव्य वाटिका बनकर तैयार हो गई है, जिसे देखने लोगों का हुजूम उमड़ रहा है। सौर मंडल के ग्रह-उपग्रह की तरह ये तीनों एक सीध में आ गए हैं। एक सेहत यानी आरोग्य का मंदिर है, दूसरा शिक्षा का और तीसरे ग्रह यानी मदिरालय का क्या ही कहना! अब तीन “व” वाले वन मंदिर, वाइन शॉप और विद्यालय यानी एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल की जुगलबंदी क्या गुल खिलाती है, यह देखना बाकी है। फिलहाल मदिरा प्रेमियों के इस रेसिंग ट्रैक से होकर वन मंदिर तक सही सलामत पहुंचना ही लोगों के लिए बड़ी चुनौती है।
———-
उर्वरक मंत्री ने सराहा जैविक खेती को !!
यह भी गज़ब का संयोग रहा कि केंद्रीय रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने दंतेवाड़ा जिले में जैविक खेती की पहल को सराहा है। जबकि रासायनिक उर्वरक व्यवसाय और जैविक खेती में 36 का आंकड़ा होता है। इस विरोधाभास के बावजूद केंद्रीय राज्य मंत्री का जैविक खेती को सराहना जिला प्रशासन के लिए किसी बड़े प्रमाणीकरण से कम नहीं। इसे डबल इंजन सरकार के विजन के तौर पर भी देखा जा सकता है।
———
ईडी की रेड से सहमे समर्थक
पूर्व आबकारी मंत्री समेत रिश्तेदारों व करीबियों के ठिकानों पर ईडी की छापामार कार्रवाई से उनके करीबियों की नींद उड़ गई है। क्या पता, कब किस कनेक्शन के नाम पर किसी सुबह उनके घर ईडी पहुंच जाए। सिर्फ सुकमा जिला ही नहीं, बल्कि समूचे बस्तर में यह लहर फैली हुई है।
वैसे, डीएमएफ घोटाला मामले में पहले से ही लोगों की नींद-चैन गायब हो चुकी थी, तब तत्कालीन सरकार ने कई जगह ईडी को रोकने नाके बिठा रखे थे। आशंका थी कि कोरबा के कोयला खदानों और डीएमएफ घोटाले की कालिख और राख यहां तक भी पहुंचेगी,
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। धीरे-धीरे हालात सामान्य होते चले गए।
——–
कोई भेदभाव नहीं करती सरकार
सनी लियोनी को बस्तर में महतारी वंदन योजना से जोड़े जाने से एक बात तो यह साफ हो गई है कि सरकारी तंत्र अपने पर आ जाए तो कुछ भी असंभव नहीं। यह तंत्र अमीर-गरीब में कोई भेदभाव नहीं करता। चाहे सौ गरीब योजना से वंचित हो जाएं, पर किसी अमीर के साथ ऐसा न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। बस्तर में तो नेताओं ने भी मौके पर चौका लगाते अपने कुंवारे रिश्तेदारों तक को महतारी वंदन का लाभ दिलवा दिया।
बैंक वालों की समदर्शी भावना की भी दाद देनी पड़ेगी कि वे स्त्री-पुरुष वाला कोई लिंग भेद नहीं करते। तभी तो सनी लियोनी के नाम का पैसा किसी पुरुष के एकाउंट में बराबर ट्रांसफर होता रहा और बैंक वालों को कोई आपत्ति नहीं हुई। वैसे बैंकों की कारगुजारियों की लंबी सूची है। माल्या तो करोड़ों का माल आइसक्रीम की तरह खाकर फरार हो गया। दंतेवाड़ा में एक ही खाते का 2 पासबुक अलग-अलग हमनाम महिलाओं को फोटो समेत जारी करने का मामला भी हाल ही में सामने आ चुका है।
——————–
अब पोर्टा हुए केबिन
दक्षिण-पश्चिम बस्तर में चर्चित रहे पोटा केबिन आवासीय विद्यालयों का नाम अचानक सरकारी दस्तावेजों में पोर्टा केबिन चलने लगा है। इसके पहले तक यह पोटा केबिन के नाम से डेढ़ दशक से ज्यादा समय चलता रहा। सरकारें बदलने और फंड का सूखा लगातार झेलने की तपस्या के बाद अचानक किसी कर्ता-धर्ता को ज्ञान का बोध हुआ कि असली नाम पोर्टा केबिन (पोर्टेबल केबिन) होना चाहिए। वैसे, स्थानीय बोली हल्बी में पोर्टा का मतलब मातृ-पितृ विहीन या अनाथ बच्चे से होता है। इस मायने में अब पोटा केबिन को पोर्टा कहलवाने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी। हरेराम के जमाने मे वित्तीय संसाधनों से खूब हरे-भरे रहे पोटा केबिनों ने कई अफसर-गुरुजियों को मालामाल कर दिया था। हरेराम के आशीर्वाद का साया हटने के बाद से ये पोटा केबिन सही मायने में बेसहारा हो चुके हैं।
——–
ना 45 से कम, न 65 से ज्यादा
बीजेपी में जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी के लिए जो 45 से 65 वर्ष आयु सीमा तय की गई है, उसके चलते कई दावेदार सचिन तेंदुलकर की तरह नर्वस नाइंटीज का शिकार हो रहे हैं। सचिन अक्सर 90-99 में आउट होकर शतक से चूक जाया करते थे। कुछ बाउंड्री लाइन के किनारे पर कैच आउट हो रहे हैं, तो कोई विरोधियों के हाथों स्टंपिंग या रन आउट हो रहा है। बीजेपी का यह क्राईटेरिया मिथुन चक्रवर्ती-आयशा जुल्का की हिट फ़िल्म का गाना.. न उन्नीस से कम हो.. न इक्कीस से ज्यादा.. की याद दिला रहा है।
——-
बीईओ पर निलंबन की गाज
कटेकल्याण बीईओ पर निलंबन की गाज अंततः गिर ही गई। बीईओ पर ड्यूटी के दौरान ही सुरापान का आरोप लगा, और प्रथम दृष्टया ऐसा पाते हुए सजा मुकर्रर कर दी गई। सनद रहे कि बीईओ की कुंडली में राहु-केतु की वक्रदृष्टि पहले से पड़ी हुई थी। विपक्षी कांग्रेस के पार्टी प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में मेहमानवाजी का आरोप लग ही चुका था। सूत्र बताते हैं कि ऊपरी तौर पर यह मामला जितना सीधा दिख रहा है, उतना है नहीं। भीतरखाने से यह मामला स्कूल जतन योजना को लेकर मचे खींच-तान से जुड़ा हुआ बताया जाता है।
————–