नवोदय में 25 साल पहले पढ़कर निकले, अब लौटे तो हरेक पेड़-दीवारों से लगा अपनापन

नवोदय जीवन हरेक परिस्थिति से जूझना सिखाता है
पहले बैच के पास आऊट होने की रजत जयंती मनाई
नवोदय विद्यालय बारसूर में
देश-विदेशों में सेवा दे रहे पूर्व छात्र-छात्राओं का लगा जमावड़ा

बस्तर अपडेट । दंतेवाड़ा

जवाहर नवोदय विद्यालय बारसूर से 25 साल पहले वर्ष 1999 में पासआऊट हुए पहले बैच के छात्र-छात्राओं का जमावड़ा रविवार को फिर से इस विद्यालय में लगा। इस विद्यालय से पढ़ाई पूरी कर देश-विदेशों में अपना मुकाम हासिल कर चुके इस बैच के 16 ऐसे पूर्व छात्र-छात्राएं अपनी स्मृतियां ताजा करने यहां पहुंचे थे।

किसी ने शुरूआती दौर में यहां हुई कठिनाईयों को याद किया, तो किसी ने परिसर के पेड़-पौधों, दीवार-खिड़कियों तक में अपनापन महसूस किया। किसी को अपनी और साथियों की शरारतें, मस्ती, पढ़ाई और शिक्षकों से मिली पनिशमेंट याद आई। इतने साल बाद अपने पुराने सहपाठियों को पाकर उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। सभी ने न सिर्फ अपनी पुरानी यादें ताजा  की,  बल्कि वर्तमान बैच में पढ़ाई कर रहे बच्चों को नवोदय जीवन के महत्व और सफलता के सूत्र भी बताए। इस मौके पर विद्यालय के बच्चों ने स्वागत गीत, करमा नृत्य, आर्केस्ट्रा की संगीतमय प्रस्तुति दी। सुपर सीनियर्स ने बच्चों के साथ भोजन किया और क्रिकेट मैच भी खेला।

1999 में पास आऊट हुआ था पहला बैच
दरअसल पहले बैच के पासआऊट होने 25 वर्ष पूरे होने पर यह रजत जयंती समारोह आयोजित किया गया, जिसमें एलुमनी यानि पूर्व छात्रों को आमंत्रित किया गया था। स्वागत उद्बोधन में विद्यालय के प्राचार्य धर्मेंद्र कुमार यादव ने कहा कि बस्तर संभाग के पहले नवोदय विद्यालय की स्थापना 1992 में हुई थी। इसमें पढ़कर निकले छात्र-छात्रा देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। 1999 में पहले बैच के पास आऊट होने के 25 साल पूरे हो चुके हैं। अब हर साल 25 साल पूरे करने वाले बैच को क्रमश: आमंत्रित किया जाएगा। कार्यक्रम का रोचक ढंग से संचालन एलुमनी मनोज गुप्ता ने व आभार प्रदर्शन विद्यालय के शिक्षक मंगलसिंह ने किया। इस कार्यक्रम में विद्यालय के पास आऊट व बीजापुर एएसपी चंद्रकांत गवर्ना, ट्रायबल विभाग की अवर सचिव अनिता मरकाम भी मौजूद रहीं।

*किसने क्या कहा*
शेषमणि दुबे, शिक्षक ने कहा कि नवोदय जीवन हर किसी को आसानी से नहीं मिलता। यह होता तो सिर्फ 7 वर्ष का है, लेकिन लेकिन पूरा जीवन नवोदय जीवनमय बनाना अद्भुत है। खुशमय बनाने हर साल यहां आता हूँ। 1993 में यहां कुछ नहीं, सिर्फ 4 शिक्षक थे। तब जो कष्ट झेला, आज हमारे जीवन की सफलता उसी वजह से है। जीवन मे जीत हासिल करना है, लेकिन किसी को दबाकर नहीं। बच्चे देश के प्रति कर्तव्यबोध याद रखें। अविनाश श्रीवास, सहायक आयुक्त आजाक विभाग महासमुंद ने कहा कि नवोदय जीवन उतना आसान नहीं। यहां के प्रिंसिपल भी स्वयं एलुमनी हैं। दंतेवाड़ा की पहचान देश भर में है। साक्षरता दर भले ही कम रही हो, लेकिन नवोदय तारे की तरह टिमटिमा रहा है। जो अपने को मिल रहा है, उस पर गर्व करना सीखें। जिम्मेदारी का अहसास करेंगे। आगे बढ़ना है तो 100 प्रतिशत देना है। यहां जो संघर्ष करेंगे, जो सीखेंगे, वो जीवन भर काम आएगा। नवोदय परिसर में जैसा हम बिना भेदभाव के रहते हैं, उस भावना के अनुरूप समाज को भी ढालना है। शिक्षा से ही सामाजिक बदलाव आ सकता है। इसीलिए समय को नष्ट मत करिए। यह समय बाद में लौट कर नहीं आएगा।

जगदलपुर से पहुंचे मुकेश दास ने अपनी हंसोड़ शैली में खूब हंसाया। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा मार खाने वालों में मेरा ही नाम आएगा। सुबह 5 बजे दौड़ते आते थे, सिर्फ तेंदू मिलता था। जंगल में हॉस्टल था। हमारे समय सुविधाएं नहीं थी। यहां पढ़ा हुआ बच्चा कभी भूखा नहीं रहेगा।

बैंगलोर में सेवा दे रहे साफ्टवेयर इंजीनियर राजीव सेंगर ने इस स्कूल में अपने पीटी टीचर की इस बात का जिक्र किया कि कहीं संघर्ष की स्थिति आई तो नवोदय में पढ़ा हुआ बच्चा कहीं रुकेगा नहीं। पुरानी जगह पर आकर लगा, जैसे समय रूक गया है। आप लोग खुशकिस्मत हैं कि गुरुकुल वाला जीवन जी रहे हैं। बाहर लोग मोबाइल का स्क्रीन टाइम घटाने के लिए परेशान हैं।

डॉ दुलेश्वर दानी ने कहा कि सभी साथियों ने किताबी ज्ञान से बाहर अपने जीवन का अनुभव शेयर किया। शिक्षकों की बातें ध्यान से सुनना चाहिए । समय को किस तरह से इस्तेमाल कर रहे, ये महत्वपूर्ण है। नवोदय से जन्म जन्मांतर का रिश्ता बन जाता है। पुणे से आये इंजीनियर व वोडाफोन एमडी अंटोनी थॉमस ने कहा कि लोग छोटी-मोटी कमियों की शिकायतें करते हैं। अपने जीवन में गौर से देखिए, जहां कष्ट होता है, वहां सीख मिलती है। नवोदय हमें आत्मविश्वास सिखाता है। जीवन में जब रेड कार्ड दिखे तो समझो कि ये भी अवसर है। गाड़ी में ब्रेक क्यों होता है? इसीलिए कि गाड़ी स्पीड चला सकें। फेलियर हमें सिखाता है।

विद्याभूषण भूआर्य, डीजीएम, एनटीपीसी ने कहा कि नवोदय से ये न सीखें कि मुझे सिर्फ सरकारी नौकरी करना है। ये सीखें कि जीवन में जो तमन्ना है, उसे अभी पूरी करें। बाद में ये समय फिर नहीं मिलेगा। बाकी स्कूलों में आपको विद्या मिलती है, यहां जीवन विद्या सीखने को मिलती है। लीडरशिप से लेकर तमाम चीजें सीखें।
1999 बैच के किरणदेव नाग, कविता भेड़िया, अंजना कोर्राम ने भी संबोधित किया। अंत में बस्तर डिस्ट्रिक्ट एलुमनी एसोसिएशन बड़जा के अध्यक्ष प्रदीप भंडारी ने कहा कि जो पीढ़ियां पास आउट हो रही हैं, उनके लिए मंच दिलाने यह आयोजन किया गया है। नवोदय स्किल सीखने का मंच है।
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