बस्तर ट्रेनी अफसरों की प्रयोगशाला कब तक??

BastarUpdate.com / Jagdalpur

बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित संभाग के 7 जिलों में से अधिकांश जिले प्रशासनिक प्रयोगशाला बनकर रह गए हैं, जहां नए नवेले और प्रोबेशनर अफसरों को सीखने के लिए भेजा जाता है।

इनमें से अधिकांश तो ट्रेनी अफसर होते हैं, जिन्हें फील्ड का व्यवहारिक ज्ञान और अनुभव नहीं रहता है। ऐसे अफसरों को ब्लॉक, सब डिवीजन और जिला स्तर पर प्रारंभिक तौर पर कुछ महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी मिलती है, तो आम जनता की परेशानी और भी बढ़ जाती है। पद की टशन और कथित प्रोटोकॉल की शॉल में खुद को लपेटे ये अफ़सर न तो किसी का कॉल उठाते हैं, न ही सीधे मुंह बात करते हैं। ऐसे में नक्सल प्रभावित इलाकों में प्रशासनिक संवेदनशीलता की अपेक्षा रखना मुश्किल हो जाता है, जिससे नक्सल हिंसा से जूझ रहे इन जिलों में प्रशासन के प्रति आम लोगों में अच्छी छवि का निर्माण करना और उनका भरोसा जीतना असंभव है।

एक दिन पहले बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में पत्रकारों के साथ राज्य के डिप्टी सीएम विजय शर्मा की बातचीत में भी अफसरों की इसी संवेदनहीनता की बात खुलकर सामने आई। बीजापुर कलेक्टर द्वारा एक गांव के ग्रामीणों की हैंडपंप की मांग को यह कहकर नकारे जाने की शिकायत हुई कि इस गांव में सभी नक्सली हैं।

चर्चा के दौरान यह माना गया कि यहां सुलझे हुए और संवेदनशील अफसरों की ही पोस्टिंग होनी चाहिए, जो फील्ड पर जाकर आम जन की तकलीफ को समझे और जन भावना के साथ सामंजस्य बिठाकर काम करे, न कि ट्रेनिंग और प्रयोग के तौर पर अफसर तैनात होने चाहिए। शुरुआती ट्रेनिंग के लिए बस्तर के बाहर भी कई जिले उपलब्ध हैं। अब देखना यह है कि इस चर्चा के निष्कर्ष और सुझाव पर अमल होता है भी या नहीं।

पुनर्वास पर सुझाव के लिए जारी किया गूगल फॉर्म

उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने जगदलपुर में नक्सलियों से वार्ता की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ते हुए पुनर्वास नीति सुझाव के लिए ईमेल आईडी और गूगल फॉर्म जारी किया। उन्होंने माओवादियों से आग्रह किया है कि वे स्वयं बताएं कि उनके पुनर्वास नीति क्या होनी चाहिए।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार स्वयं मानती है कि आपरेशन मुख्य विषय नही है। यह तो सरकार के प्रयास का बहुत छोटा सा हिस्सा है सरकार का मुख्य उद्देश्य प्रभावित क्षेत्र में विकास करना, आदिवासी क्षेत्र की सामाजिक , सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के कार्य करना है।
उप मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पुनर्वास नीति बहुत ही अच्छी है, लेकिन उसे बेहतर बनाने के लिए किसी भी राज्य में जाकर अध्ययन करने को तैयार हैं। सरेंडर करने के इच्छुक नक्सली स्वयं बताएं कि उनके पुनर्वास नीति क्या होनी चाहिए।
बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिहदेव, बस्तर जिला अध्यक्ष रूप सिह मंडावी, चित्रकूट विधायक विनायक गोयल, सुभाउ कश्यप समेत वरिष्ठ पत्रकार गण उपस्थित थे।

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