फोकट का चंदन..घिस मेरे नन्दन..(शब्द बाण-99)

फोकट का चंदन..घिस मेरे नन्दन..(शब्द बाण-99)

साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम शब्द बाण भाग – 99
1 सितंबर 2025
शैलेन्द्र ठाकुर । दंतेवाड़ा

नया नौ दिन..पुराना सौ दिन..

“नया नौ दिन और पुराना सौ दिन, खांसी के लिए ग्लाईकोडीन..” ये लाइन आपने भी टेलीविज़न पर खांसी वाली सिरप के एड में सुनी होगी। ऐसा ही कुछ मसला दंतेवाड़ा में हुआ। यहां आई विनाशकारी बाढ़ में बायपास रोड का 100 मीटर लंबा पुल बहकर गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो गया। वहीं, डंकनी नदी का 6 दशक पुराना पुल का मुख्य ढांचा इस बार भी सही सलामत रहा। पुल का एप्रोच वाला हिस्सा जरूर क्षतिग्रस्त हो गया। अब लोग यह सोच-सोच कर सिर खुजा रहे हैं कि स्पेस टेक्नोलॉजी उर्फ रॉकेट साइंस के जमाने वाला नया पुल कैसे बह गया।
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अधीक्षक बनने गला काट स्पर्धा
आपने किसी अच्छे कार्य को अंजाम देने या बेहतर मुकाम पाने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की बात सुनी होगी, लेकिन बस्तर के सुकमा जिले में अधीक्षक बनने गला काट स्पर्धा के अजीब तौर- तरीके सुनकर हैरान रह जाएंगे। अधीक्षक के साथ खुन्नस निकालने के चक्कर मे सहकर्मी शिक्षक ने छात्रावास के बच्चों के भोजन में ही फिनायल मिला दिया, ताकि बच्चों को नुकसान हो और अधीक्षक की कुर्सी छिन जाए। खुशकिस्मती यह रही कि भोजन खिलाने से पहले ही फिनायल की गंध का पता चल गया और भोजन को नष्ट कर दिया गया। वरना, शिक्षकों की लड़ाई का खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पड़ता। इसके बाद मामला उजागर होने पर शिक्षक की गिरफ्तारी हो गई।
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गज़ब का नवाचार
नवाचारों के लिए प्रसिद्ध दंतेवाड़ा जिले में बड़ा अजीबो-गरीब मामला सामने आया। फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों का टेंडर करवाने के आरोप में 2 सहायक आयुक्तों की गिरफ्तारी हो गई। गिरफ्तारी भी इतनी जल्दी हुई कि लोग हैरान रह गए। वरना, इसके पहले कई मामलों में पुलिस के हाथ आरोपियों के गिरेबां की ओर इतनी सुस्त रफ्तार से बढ़ते थे कि आरोपी अपने लिए अग्रिम जमानत का इंतजाम कर सके।
ऐसा भी नहीं है कि जिले के निर्माण कार्यों में इस तरह टेंडर पहली बार हुआ हो। यहां काम पहले होने और टेंडर प्रक्रिया बाद में जारी करने के कई आरोप सालों से लगते रहे हैं। पिछले वाले महोदय ने तो ग्राम पंचायतों या मनचाही एजेंसी के नाम से वर्क आर्डर जारी करने एक काम को कई टुकड़ों में बांटने की निंजा टेक्निक का आविष्कार किया था। यह नवाचार भी कई हितग्राहियों को तात्कालिक तौर पर तो भा गया था, लेकिन बाद में काफी महंगा सौदा साबित हुआ। अब देखना यह है कि ट्राइबल विभाग के पूर्व सहायक आयुक्तों की गिरफ्तारी का मामला क्या रंग लाता है। फिलहाल पुलिस ने अपने पूरे पत्ते नहीं खोले हैं।
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शिक्षादूतों के लिए यमदूत बने नक्सली

पिछले कुछ समय से दक्षिण पश्चिम बस्तर के अंदरूनी इलाकों में सेवा देने वाले शिक्षादूतों की हत्या की घटनाएं लगातार हो रही हैं। नक्सली यमदूत बनकर शिक्षादूतों के प्राण हर रहे हैं। पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। आखिर, आदिवासी इलाकों के बच्चों तक ज्ञान का उजाला फैलाने वालों से नक्सलियों को क्या तकलीफ है? निरीह बेगुनाहों की हत्या कैसी क्रांति है? यह सवाल जन मानस के जेहन में है।

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फोकट का चंदन

एनएमडीसी-एएमएनएस से मिली सहायता सामग्री का वितरण कर फ़ोटो सेशन करने और मुफ्त का क्रेडिट लेने की होड़ नेताओं में मची है। “फोकट का चंदन घिस मेरे नन्दन” वाली इस नीति पर चलने की बजाय खुद की गाढ़ी कमाई का कुछ हिस्सा परमार्थ पर खर्च करें तो तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी।
बेघर और बदहाल हो चुके परिवारों को मकान बनाने और दैनिक जरूरत की चीजें जुटाने में और भी मदद की जरूरत है। लेकिन यथार्थ में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। लोग अपने मे मस्त हैं।
जाके पैर न फटे बिवाई वो का जाने पीर पराई।
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✍🏻 शैलेन्द्र ठाकुर की कलम से

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