कांग्रेस के घर में ही वोट चोरी !! (शब्द बाण-113)

कांग्रेस के घर में ही वोट चोरी !! (शब्द बाण-113)

साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम शब्द बाण भाग-113
7 दिसंबर 2025

शैलेन्द्र ठाकुरदंतेवाड़ा

एक्सरे रिपोर्ट भी मिल रही मोबाइल में
दक्षिण-पश्चिम बस्तर के तीनों जिलों में सरकारी अस्पतालों के खुद बीमार होने का जिक्र तो इसी स्तम्भ में हम कर ही चुके थे, अब बस्तर संभाग के अन्य जिलों में भी ऐसी दुर्दशा की खबरें उजागर होने लगी हैं। संभाग मुख्यालय के महारानी अस्पताल से जिंदा तो जिंदा, मुर्दों को भी रेफर करने का खुलासा हुआ है। अब कोंडागांव के जिला अस्पताल के 10 करोड़ कर्ज में डूबे होने का नया मामला पता चला है। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग की जरूरत और प्राथमिकताओं का निर्धारण मंत्रालय में दवाओं व उपकरणों के जानकार सीनियर डॉक्टर्स नहीं, बल्कि सिर्फ कायदे प्लस कानून की भाषा जानने वाले ब्यूरोक्रेट्स कर रहे हैं। नतीजतन, सभी सरकारी अस्पताल बीमार पड़ते जा रहे हैं।
कुल मिलाकर सभी जिलों के हालात ऐसे हैं कि जांच से लेकर दवाएं तक का टोटा अस्पतालों में पड़ गया है।
एक्सरे मशीन में प्रिंट करने के लिए फ़िल्म खरीदने का पैसा तक नहीं है, मरीजों को डिजीटल एक्सरे की इमेज मोबाइल पर लेना पड़ रहा है। मरीज स्मार्टफोन वाला न हुआ तो सफेद ए-4 साइज़ वाले कोरे कागज पर प्रिंट आउट दे देते हैं।  कमोबेश, यही हालत सीटी स्कैन जांच की भी है।
ये सिचुएशन एक कविवर की 3 दशक पुरानी कविता की याद दिलाती है-
“ढोल के भीतर पोल मिलेगा आने वाली पीढ़ी को,
शीशी में पेट्रोल मिलेगा आने वाली पीढ़ी को,
सब कुछ डांवाडोल मिलेगा आने वाली पीढ़ी को,
सबका बिस्तर गोल मिलेगा आने वाली पीढ़ी को ।”
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सुकमा के विजिबल डकैत..
अब तक नक्सलवाद से जूझ रहे सुकमा जिला वासियों के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है। बड़ी संख्या में सरेंडर और एनकाउंटर से नक्सलवाद का कुहासा तो छंटने लगा है, लेकिन जिला मुख्यालय के ज्वेलरी शॉप में पिस्तौल की नोक पर हुई लूट की घटना ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। ‘आसमान से गिरे खजूर पे अटके’ की तर्ज पर कानून-व्यवस्था की नई चुनौती सामने है। हालांकि सुकमा के वन और प्रशासनिक तंत्र में फंड पर डाका डालने वाले सरकारी डकैतों की कमी पहले भी नहीं थी। यहां कोई तेंदूपत्ता संग्राहकों का पैसा हजम कर जेल की हवा खाता है, तो कोई सरकारी पैसे से बंगले में स्वीमिंग पूल बनाकर चर्चित होता है। ये डकैतियां अदृश्य होती हैं, जिसका पता कभी-कभी चल पाता है, लेकिन ज्वेलरी शॉप में लुटेरों ने सशरीर उपस्थिति देकर घटना को अंजाम दिया, इससे आम जन ज्यादा चिंतित हैं। हालांकि पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कुछ ही घण्टों में तीनों लुटेरों को धर दबोचा और अपनी नाक बचा ली।
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कांग्रेस के घर में ही वोट चोरी
कांग्रेस के सुप्रीमो राहुल भले ही केंद्र सरकार पर वोट चोरी का इल्जाम लगाते फिर रहे हों, लेकिन दंतेवाड़ा जिले में कांग्रेस पार्टी के भीतर ही वोट चोरी होने का हल्ला मचा है। दरअसल, नए जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा होने के बाद से ही जिला कांग्रेस की राजनीति में बासी कढ़ी की तरह उफान आ गया है। एक धड़े ने मन मुताबिक नाम नहीं पाकर पीसीसी अध्यक्ष के पास जाकर अपनी भड़ास निकाली। एक नाराज पदाधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस के भीतर ही वोट चोरी हो रही है। वोट किसी और को देते हैं, अध्यक्ष कोई और बन जाता है। वन टू वन चर्चा का सिर्फ नाटक खेला गया। तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब देखना यह है कि पीसीसी अध्यक्ष बैज क्रिकेट वाले “अंपायर डिसीजन इज लास्ट डिसीजन” वाली नीति पर कायम रहते हैं, या थर्ड अंपायर को कॉल करते हैं। आखिर अनुशासन और पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र भी कोई चीज होती है।

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भाजपा-कांग्रेस का तंज वार
दंतेवाड़ा में कांग्रेस का नया जिलाध्यक्ष बनाए जाने के बाद से मची उथल-पुथल का मजा लेने के लिए बयानबाजी करना भाजपा नेताओं पर ही भारी पड़ गया। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ, तो पुरानी परतें उधड़ने लगी। एक तरफ
भाजपा नेता ने कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा कमजोर होने और अंदरूनी कलह से ग्रस्त होने का तंज कसा, तो दूसरी तरफ से कांग्रेसी नेता ने पलटवार करते भाजपा के भीतर 5 गुट सक्रिय होने और आंतरिक लोकतंत्र के ध्वस्त होने का दावा किया। भाजपाइयों के लिए गनीमत यह रही कि बयानबाजी का मामला यहीं खत्म हो गया। वरना, पार्टी के भीतर ही जिलाध्यक्ष चुनाव को लेकर कुछ माह पहले जिस तरह से तलवारें खिंची हुई थी, उसे लेकर अपनों के ही पुराने जख्म हरे होने में देर नही लगती।
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अध्यात्म से विकास की आस..

दंतेवाड़ा जिले के गीदम में सीहोर एमपी वाले कथावाचक पं प्रदीप मिश्रा शिव महापुराण की कथा सुनाने पहुंचे हैं। अपनी कथावाचन शैली के जरिए शिवभक्ति का विशेष वातावरण बनाने के लिए पंडितजी काफी मशहूर हैं। वैसे, इस आयोजन में जुटने वाली अपार भीड़ को लेकर काफी इंतजाम पुलिस-प्रशासन ने किया है। लोग तो खुश हैं कि सप्ताह भर धार्मिक, आध्यात्मिक वातावरण तो बनेगा ही, इसी बहाने आस-पास की कुछ सड़कों और स्ट्रीट लाइट्स की भी मरम्मत हो जाएगी। वैसे तो जगदलपुर-गीदम मार्ग की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन बारसूर-गीदम सड़क की हालत सुधरेगी, यह कहना अभी मुश्किल है।

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प्रमोशन बना दूर की कौड़ी
दक्षिण-पश्चिम बस्तर में पुलिस के जवान के लिए रूटीन प्रमोशन पाने का सपना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है।
कई जवान आरक्षक से हवलदार बनने परीक्षा पास कर चुके और ट्रेनिंग लेने के कई साल बाद भी लाल फीता कंधे पर नहीं लगवा पाए हैं। पद के इंतजार में पोस्टिंग नहीं हो रही है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि ओटी यानी आउट ऑफ टर्न प्रमोशन धड़ाधड़ हो रहे हैं। आए दिन नक्सली मुठभेड़ों में बहादुरी दिखाने वाले जवानों को यह प्रमोशन निर्धारित औपचारिकता पूरी करते ही दिया जा रहा है। ऐसे ओटी प्रमोशन पाने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। साथ ही संतुलन भी बिगड़ रहा है। इसका असर यह हो रहा है कि विभाग के पास रूटीन प्रमोशन देने के लिए पद ही बाकी नहीं रह जाते हैं। अब देखना यह है कि विभाग इस समस्या का समाधान कैसे निकालता है।
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सब कुछ डबल ही डबल..
पश्चिम बस्तर जिला बीजापुर में इन दिनों सब कुछ डबल वाला अजीब संयोग दिखाई पड़ रहा है। जिले में शिक्षा विभाग के दो डीईओ, पटनम ब्लॉक में 2 जनपद सीईओ, बीईओ दफ्तर में 2 एबीईओ और एक ही ग्राम पंचायत में 2 सचिव डटे हुए हैं। वहीं, दूसरी तरफ जिले से ट्रांसफर के बाद भी टलने को तैयार नहीं हो रहे डीईओ भी मजे से बैठकर कुर्सियां तोड़ रहे हैं। अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा पार करने के बाद भी वेतन-भत्ते बराबर मिल रहे हैं। उनकी तरह और भी लोग इस रास्ते पर चलने की कतार में हैं। डीईओ साहब उम्मीद की दुनिया पर कायम हैं।
किसी ने क्या खूब कहा है-

“हर शब जलाए रखता हूँ दहलीज पे चिराग़
कि लौट के आओगे उम्मीद अब भी बाकी है।”

✍🏻 शैलेन्द्र ठाकुर की कलम से

 

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