साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम ‘शब्द बाण’ (भाग – 47)
9 सितंबर 2024
शैलेन्द्र ठाकुर । दंतेवाड़ा
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ जंग में गुडसा और हिड़मा दो नाम ऐसे हैं, जो किसी किवदंती से कम नहीं। एक समय सिर्फ और सिर्फ गुडसा उसेंडी का नाम चर्चित था। एक गुडसा पकड़ा जाता था, तो कुछ दिन बाद फिर दूसरे किसी गुडसा की विज्ञप्ति जारी हो जाती थी। समय के साथ अब गुडसा की जगह हिड़मा ने ले ली। सबको अब लगता है कि हिड़मा ही सब कुछ है। उसके पकड़े या मारे जाते ही नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। लेकिन हिड़मा तक कोई पहुंच नहीं पाया है।
कई किस्से-कहानियां भी हवा में तैरने लगती है। सच क्या है, यह तो सिर्फ हिड़मा को ही पता होगा। पर एक बात तो साफ है कि इतने सालों में पहली बार दक्षिण-पश्चिम बस्तर में आंध्र मूल के किसी बड़े लीडर को फोर्स ने मार गिराया है। यह बहुत बड़ी सफलता है।
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क्लाइमैक्स के बाद पहुंची पुलिस
फिल्मों की तरह क्लाइमेक्स के बाद पुलिस पहुंचने का किस्सा दंतेवाड़ा में सामने आया है। दरअसल, नवरात्रि पर्व की तैयारी को लेकर टेंपल कमेटी की एक जरुरी मीटिंग चल रही थी। जब पुलिस से सम्बंधित विषय आया, तो कोई भी पुलिस अधिकारी वहां मौजूद नहीं थे। सिवाय आपदा राहत वाले नगरसेना अफसरों के। आमतौर पर संबंधित सभी विभागों के अफसर मौजूद रहते हैं। बैठक के अंतिम चरण में दरवाजा खुला और एक पुलिस अधिकारी की धीरे से एंट्री हुई, तो लोग एक-दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराने लगे।
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बच्चा चोरी और अफवाहों का दौर
दंतेवाड़ा जिले में बच्चा चोरी की घटना से लोग सकते में है। खासकर, वो पालक जो अपने बच्चों को बच्चा चोर आएगा कहकर डराया करते थे। घटना के बाद से अफवाह फैलाने वालों की मौज हो गई है। एक सीसीटीवी क्लिप फारवर्ड कर लोग इसे आरोपी बताने लगे, फिर किसी व्यक्ति ने बाइक सवारों को पहचानकर इस अफवाह को खारिज किया। पता चला कि इनमें से एक तो गांव का पंचायत सचिव है। ऐसे ही सरकारी योजना की प्रचार गाड़ी को लोगों ने गांव में घुसने से मना कर दिया। जल्द ही इन अफवाहों पर ब्रेक नहीं लगा, तो कुछ भी अनहोनी होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
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वसूलीबाज अफसर की शिकायत
दंतेवाड़ा जिले के गीदम इलाके के एक बड़े अफसर की वसूली से त्रस्त आश्रम-छात्रावास अधीक्षकों की सब्र का बांध आखिर टूट ही गया। यह जख्म ऐसा था कि दिखाओ तो भी तकलीफ, न दिखाओ तो और ज्यादा तकलीफ। फिर मामला विधायक तक जा पहुंचा। विधायक ने अफसर की जमकर क्लास ली और दोबारा ऐसा भयादोहन नहीं करने की सख्त हिदायत भी दी। तब जाकर मामला शांत हुआ। दिलचस्प बात यह है कि जिस अफसर की शिकायत हुई, वो यहां से विदा हो चुके ‘महोदय’ का पसंदीदा सिपहसालार रह चुका है। पहले कांग्रेस सरकार ने सिर आंखों पर बिठाया था, अब भाजपा वाली विष्णुदेव सरकार में भी कुछ छुटभैय्ये नेताओं को मैनेज कर उसने अपनी कुर्सी बचाई हुई है।
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सी- मार्ट या एस-मार्ट?
भूपेश सरकार ने सी-मार्ट के नाम से जो रिटेल आउटलेट शुरू किया था, वह धीरे-धीरे अघोषित रूप से एस-मार्ट यानी सप्लाई मार्ट में तब्दील होता जा रहा है। इसकी आड़ में निजी सप्लायर पर्दे के पीछे से सप्लाई का खेल खेल रहे हैं। महंगे दाम पर गुणवत्ताहीन सामग्री सप्लाई करने की कई शिकायतें अब तक मिली। शिशुओं-महिलाओं को पोषक आहार सप्लाई का मामला हो या आश्रम-छात्रावास में खाद्य सामग्री देना हो, सभी मामलों में शिकायतें कम नहीं हैं। फिर भी नई सरकार भूपेश सरकार के इस कांसेप्ट को आगे बढ़ा रही है, वरना गोठान से लेकर ओलंपिक तक ब्रेक ही ब्रेक लगाया जा चुका है। वैसे सी-मार्ट कहने को तो रीपा यानी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में तैयार चीजों की बिक्री के नाम से ही शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य महिला समूहों व स्थानीय ग्रामोद्योग के उत्पादों को बढ़ावा देना था। लेकिन जब रीपा ही नहीं रहा तो फिर किस बात के सी-मार्ट? यह बात लोगों के गले नहीं उतर रही।
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बड़े साहब की दबंगई
दक्षिण पश्चिम बस्तर के एक जिले में ‘बड़े साहब’ का किस्सा काफी चर्चित हो गया है। अपने साहसिक फैसलों से सुर्खियां बटोरने वाले इस अफसर ने अति उत्साह में आकर कुछ अनचाहे कदम भी उठा दिए। सत्ता पक्ष के एक नेता से तू-तू मैं-मैं करने का मामला हो, या फिर खबर से नाराज होकर पत्रकार को चैलेंज करने का। और तो और, रिटायरमेंट के अंतिम दिन बुलडोजर लेकर अपने विरोधी के घर पहुंच गए। खैर, अंत भला तो सब भला। साहब की सम्मानजनक ढंग से विदाई हो गई। वैसे, लोग तो कहते हैं कि साहब दिल के बुरे नहीं थे। कम से कम ऑफ दी ट्रैक जाकर भी समस्याओं का समाधान तो करते थे।
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जाते-जाते तांडव करने लगा मानसून
मानसून की विदाई में बमुश्किल महीने भर का समय बाकी रह गया है। लेकिन विदा होने से पहले मानसून ने अचानक रौद्र रूप दिखाकर तांडव करना शुरू कर दिया है। उसने बता दिया है कि प्रकृति से बड़ा नरम और कठोर कोई दूसरा नहीं हों सकता। इसीलिए प्रकृति से छेड़छाड़ करना ठीक बात नहीं।
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