क्या दंतेवाड़ा को मिलेगा पहला भाजपाई मंत्री??? (शब्द बाण-37)

क्या दंतेवाड़ा को मिलेगा पहला भाजपाई मंत्री??? (शब्द बाण-37)

(23 जून 2024)
साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम शब्द बाण (भाग-37)

शैलेन्द्र ठाकुर @ दंतेवाड़ा
राह से भटक गई ईएनसी राही की जांच
शक्तिपीठ दंतेश्वरी मंदिर परिसर में पिछले सीएम भूपेश कका ने रिवर फ्रंट व कॉरीडोर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की जो घोषणा की थी, उसमें भ्रष्टाचार की बू आने लगी, तो सरकार ने अपनी साख बचाने के लिए आनन-फानन में जांच की घोषणा की। राज्य स्तर से ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के सबसे बड़े अधिकारी ईएनसी यानि इंजीनियर इन चीफ राही जांच के लिए दंतेवाड़ा आए, लेकिन उनकी जांच अपनी राह से ही भटक गई। जांच के वक्त तो ऐसा लगा, मानो भ्रष्टाचार का मल्टी आर्गन फेल्योर हो गया हो और सभी अंग जवाब देने लगे हों। लेकिन सिर्फ सैर सपाटा वाली यात्रा जैसी इस जांच का कोई नतीजा नहीं निकला। राही वापस राजधानी लौट गए, पर साल भर में भी कोई रिपोर्ट सबमिट नहीं हुई। सरकार भी बदल गई। नई सरकार ने अपने धुर विरोधी के खिलाफ मिले इस बड़े मौके को भुनाने में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब केंद्र सरकार की प्रसाद योजना से इस परिसर का कायाकल्प नए सिरे से होगा, तो पुराने सारे कर्म ढंक ही जाएंगे, ऐसी संभावना है।
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दक्षिण बस्तर को मंत्री पद की आस
शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने के बाद विष्णुदेव साय मंत्री मंडल में मंत्री पद की कुल दो वेकेंसी रह गई है । अब दक्षिण बस्तर की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि कम से कम दंतेवाड़ा के हिस्से में यह पद आएगा। सुकमा व बीजापुर को छोड़कर सिर्फ दंतेवाड़ा सीट ही ऐसी है, जिसने भाजपा की नाक बचाई है, वह भी 16 हजार की सम्मानजनक लीड के साथ। वैसे तो पुरानी सरकारों में सुकमा, बीजापुर से मंत्री मंडल में जगह मिलती रही हैं। लेकिन भाजपा सरकार के पिछले वर्तमान सरकार और भाजपा की पिछली 3 सरकारों में भी दंतेवाड़ा से एक भी मंत्री नहीं बनाया गया। वैसे, रमन सरकार के तीसरे कार्यकाल में भाजपा ने यह सीट गंवाई थी। वहीं, दूसरी तरफ इस जिले से सिर्फ कद्दावर कांग्रेसी नेता स्व. महेंद्र कर्मा ही ऐसे थे, जो अविभाजित मध्यप्रदेश के जमाने में दिग्गी सरकार में और इसके बाद छत्तीसगढ़ के जोगी सरकार में भी मंत्री बने। यहां तक कि विपक्ष में रहने के दौरान नेता प्रतिपक्ष जैसा शीर्ष पद उनके पास रहा। देखना यह है कि कई साहसिक प्रयोग करने वाली भाजपा दंतेवाड़ा को मंत्री पद का हक आबंटित करती है या नहीं।
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संतुलन साधने वाला योग
इस बार दंतेवाड़ा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर किया गया योगासन वास्तव में मन की शांति को लाने वाला साबित होता दिखा। अफसर, पक्ष-विपक्ष के नेता व जन सामान्य मिलकर एक साथ शांतिपूर्वक योग मुद्राएं कर संतुलन साधने की कोशिश करते दिखे। सबने मिलकर लंबी-गहरी सांसे लेने-छोड़ने का अभ्यास किया। वरना, इसके पहले ‘महोदय’ ने अपनी दबंगई से नेताओं, मातहत अफसरों व जन सामान्य की सांसें व बीपी अनियंत्रित कर दी थी। सत्ता पक्ष के नेता तक पनाह मांगते फिर रहे थे। इसका असर यह हुआ था कि योग दिवस के नाम पर लोग दूर भागने लगे थे।
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अरसे बाद दिखी कांग्रेस में सक्रियता
विधानसभा चुनाव में राज्य की सत्ता छिन जाने के बाद से दक्षिण बस्तर में कोमा की हालत में दिख रही कांग्रेस ने अंतत: पूरी ताकत समेटी और धरना-प्रदर्शन शुरू किया। कांग्रेस भवन के सामने दिए गए धरने में उम्मीद से ज्यादा संख्या में कांग्रेसी दिखे। भाजपा की ओर पलायन कर चुके कुछ चेहरे जरूर मिसिंग थे। दूसरी तरफ जिपं अध्यक्ष ने भी आचार संहिता हटने के बाद जिला पंचायत में हुई पहली बैठक में अफसरों की जमकर क्लास ली। अरसे बाद जिले में सशक्त विपक्ष दिखाई पड़ेगा, ऐसी उम्मीद अब जाग उठी है।
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टैंट हाऊस की माया
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर लगाए गए टेंडर को लेकर दंतेवाड़ा में बवाल मचा हुआ है। कहा जा रहा है कि नियम कायदों से परे जाकर टैंट हाऊस वाले ने तंबू गाड़ दिया। एक ही व्यक्ति के कई फर्म हैं। सब के नाम से कोटेशन भरे जाते हैं, फिर गंगाधर ही शक्तिमान बन जाता है। वैसे तो जिले में टैंट लगाने को लेकर विवाद पहली बार नहीं हुआ है। शक्तिपीठ के त्यौहारों ओर राष्ट्रीय पर्वो पर लगने वाले टैंट पर 1 रूपए में काम करने की बोली जैसा मामला भी यहां सुर्खियों में रहा है। अपने विरोधियों को पस्त करने 1 रूपए की बोली लगाकर टेंडर जीतने वाले बाद में लाखों की बिलिंग कर जाते हैं। कभी रिंग बनाकर बोली लगाने जैसा खेल भी देखने को मिलता है। यह सब सेटिंग से ही संभव होता है।

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सड़कें दब रहीं, दोष किसका?
जिले में हल्ला यह मचा है कि आर्सेलर मित्तल के लाल मिट्टी वाले अपशिष्ट की ढुलाई से सड़कें दब रही हैं। अब सड़कें दबने में कसूर कंपनी का है, ट्रांसपोर्टरों का है, कमजोर सड़क निर्माण करने वाले विभाग का, या फिर ट्रांसपोर्ट की इजाजत देने वालों का, यह समझना मुश्किल है। सबके पास मुद्रा का प्रवाह उतनी ही सरलता से हो रहा है, जितनी सांय-सांय करती ट्रकें दौड़ रही हैं। हर कोई इस लाल मिट्टी के पैसे से लाल होना चाहता है। आने वाली पीढ़ी के भविष्य और आम जनता की तकलीफों से किसी को कोई लेना देना नहीं।
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अनंत कथा ट्राइबल विभाग की
दंतेवाड़ा जिले में ट्राइबल विभाग की कथाएं अनंत हैं। स्टाफ भरपूर होने के बावजूद दूरस्थ इलाके के कर्मचारी कई साल से जिला मुख्यालय में महत्वपूर्ण मलाईदार पदों पर जमे बैठे हैं। नतीजतन, मूल संस्थाओंं में पद तो वास्तविक रूप से खाली हैं, लेकिन ऑन रिकार्ड पद भरे हुए दिखाई पड़ते हैं, जिसकी वजह से इन जगहों पर नई नियुक्ति नहीं हो पा रही है। अटैच कर्मियों को मूल पद पर भेजने का साहस न तो अफसर दिखा पा रहे हैं, न ही सरकार। जनपद पंचायतों में सीईओ से लेकर शिक्षण व्यवस्था में मंडल संयोजक, आश्रम अधीक्षक पद की नियुक्ति तक में खेला इसी विभाग से होता है। तगड़ी सेटिंग वाले मलाईदार पदों पर जब चाहें अपनी पोस्टिंग करवा लेते हैं।
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अंत में…

राज्य केबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक सरकारी मदिरालयों के लिए देशी-विदेशी शराब की खरीदी अब छत्तीसगढ़ बेवरेज कॉर्पोरेशन करेगी। सनद रहे कि दंतेवाड़ा में पदस्थ रहे महोदय इस कॉर्पोरेशन के प्रमुख बन चुके हैं। शराब बनाने वाली डिस्टलरियाँ उनके इशारे पर नाचेंगी। मतलब साफ है। कभी भूपेश बघेल के खासम-खास सिपहसालार रहे महोदय पर नई सरकार की मेहरबानी वैसे ही नहीं हुई होगी। दंतेवाड़ा में रिकवरी और कलेक्शन का अनुभव भी आखिर कोई चीज होती है।

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