बाबा बन गए डॉक्टर!!

बाबा बन गए डॉक्टर!!

साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम शब्द बाण (भाग -40)

21 जुलाई 2024

शैलेन्द्र ठाकुर @ दंतेवाड़ा

दक्षिण बस्तर में प्रशासनिक काम-काज संभाल रहे एक डॉक्टर का ज्योतिष शास्त्र की तरफ जरूरत से ज्यादा झुकाव होने की इन दिनों खूब चर्चा है। ये वर्षों से डॉक्टरी के मूल फील्ड से कटे होने का असर है या फिर कोई और वजह। स्टेथोस्कोप और नब्ज पकड़ने की बजाय मुलाकात होते ही हस्तरेखा देखकर भविष्य बांचने लगते हैं, या फिर ग्रह-नक्षत्रों की टेढ़ी-मेढ़ी चाल, अढ़ैया, साढ़े साती, वक्र दृष्टि की ही बात शुरू हो जाती है। ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं, जब हॉस्पिटल में एलोपैथी, आयुष विंग के साथ ज्योतिषीय समाधान व ईलाज का विंग भी शुरू हो जाए।

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मन की बात किसने सुनी?

भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन सह आभार प्रदर्शन कार्यक्रम में बड़ा मजेदार वाकया हुआ। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष ने अपने भाषण के दौरान सवाल कर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम मन की बात कौन-कौन सुनते हैं। जवाब में सभी कार्यकर्ताओं ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद पूछा गया कि किस-किस ने नियमित रूप से सुना। इस पर आधे हाथ ही उठे। तीसरा सवाल आया कि अंतिम हफ्ते का कार्यक्रम किस-किसने सुना, इस पर लोग एक दूसरे की बगलें झांकने लगे। बात साफ है मोदी 3.0 वर्जन में पार्टी कार्यकर्ताओं का मोह कमजोर होता दिख रहा है।
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एसीबी की कार्रवाई

दंतेवाड़ा जिले में स्वास्थ्य विभाग के बीएमओ को एसीबी यानी एन्टी करप्शन ब्यूरो ने रिश्वत लेते रंगे हाथों धरा, तो चर्चा इस बात की कम सुनी गई कि एसीबी ने रिश्वत लेते डॉक्टर को दबोचा। चर्चा का मुख्य विषय तो यह रहा कि इतने बड़े डीएमएफ फंड वाले जिले में महज 15 हजार की मामूली रकम लेते कोई गिरफ्तार हुआ। छोटी मछली ही जाल में फंसी। अब तक जिन्हें लेना था, वो करोड़ों का वारा-न्यारा कर निकल लिए। चालाकी इतनी कि कभी नोटों को हाथ भी नहीं लगाया, जिन्होंने वसूली का पूरा सिस्टम डेवलप कर रखा था। निजी कंपनी की तरह रिकवरी एजेंट आते और कैश कलेक्ट कर चले जाते थे।
इस बार छोटी मछली जाल में फंस गई। वैसे भी बड़ी मछली तो हमेशा जाल के ऊपर से कूदकर निकल जाती है। फिर भी, एसीबी की इस कार्रवाई से दीगर ऐसे विभागों के अमले में भी हड़कम्प मचा हुआ है, जहां अंडर दी टेबल और ओवर दी टेबल डीलिंग होती है। इसमें अब इंस्योरेन्स की तरह थर्ड पार्टी पेमेंट का चलन बढ़ने की संभावना है, ताकि खुद के हाथ रंगने से बचा जा सके।
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पीसीसी चीफ का गुपचुप दौरा

प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अचानक दक्षिण बस्तर के प्रवास पर पहुंचे और दंतेवाड़ा से सीधे बैलाडीला रवाना हो गए। सांसदी छूटने के बाद पीसीसी अध्यक्ष का यह पहला दौरा इतना गोपनीय था कि कुछेक मीडिया कर्मियों को ही इसकी भनक लग सकी। चर्चा है कि पार्टी का नया जिलाध्यक्ष तय करने से पहले रायशुमारी के लिए उनका प्रवास हुआ। पार्टी के अंदरूनी कलह और बयानबाजी विवाद को लेकर उन्होंने चुप्पी साधे रखी थी।
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तालाब बना आफत

दंतेवाड़ा का चितालंका तालाब इस मानसून काल में भी सूखा ही रह गया है। लगातार दूसरे सीजन तक सौंदर्यीकरण कार्य पूरा नहीं हुआ है। अब आलम यह है कि तालाब की हालत पर तरस खाकर बरसात का पानी खुद इसमें घुसने की कोशिश में है। इसी चक्कर में तालाब किनारे बायपास चौक की सड़क भी धंस गई, तालाब का रिटेनिंग वॉल टूट गया और बिजली का 11 केवी पोल भी गिरने लगा। नगर में घण्टों बिजली गुल रही। अब अलग-अलग विभाग एक दूसरे पर दोष मढ़ने में लगे हुए हैं।
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चल रहा बुरा दौर

दंतेवाड़ा जिले में इन दिनों सब कुछ सही नहीं चल रहा है। आए दिन मिल रही शिकायतों के बाद प्रभारी मंत्री ने एक आला अफसर की जमकर क्लास ली। इसके बाद ट्राइबल विभाग के अफसर पर सूर्यास्त के बाद नियम विरूद्ध कन्या छात्रावासों के निरीक्षण का आरोप लगा। अब एसीबी ने स्वास्थ्य विभाग पर रेड डालकर बीएमओ को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में हालात बदलते हैं या नहीं।
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फिर से पैवेलियन वापसी
राज्य सरकार ने एक बार फिर महोदय को पैवेलियन वापस बुला लिया है। अच्छा खासा सरकारी मदिरा खरीदी वाला मलाईदार पोस्ट सरकार ने दिया था। मंझे हुए कप्तान-उप कप्तान दोनों ही दंतेवाड़ा जिले में पोस्टिंग के अनुभव का लाभ उठाकर धुंआधार बैटिंग कर रहे थे। लेकिन सरकार को यह आक्रामकता पसंद नहीं आई। दोनों सलामी जोड़ी को वापस बुला लिया। बड़े महोदय की सिर्फ 3 माह के भीतर पुरानी जगह पर वापसी हो गई, जहां से 16 वां खिलाड़ी बनकर अपनी अगली पारी के लिए इंतजार करना होगा। सरकार के इस निर्णय को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी?

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