(30 जून 2024)
साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम शब्द बाण (भाग-38)
शैलेन्द्र ठाकुर @ दंतेवाड़ा
पटाखे फोड़कर अफसरों की विदाई का जो ट्रेंड धार्मिक नगरी दंतेवाड़ा ने शुरू किया है, उसकी निरंतरता बनी रहेगी, ऐसा लगता है। दरअसल, कलेक्टर को पटाखे फोड़कर विदाई देने के 6 महीने बाद ही यहां के लोगों ने एक तहसीलदार को बदले जाने पर भी खुशी का इजहार किया। बस फर्क इतना था कि पहले वाली खुशी के मुकाबले इस खुशी की तीव्रता थोड़ी कम थी। दरअसल, प्रताड़ना का रकबा सिर्फ एक तहसील तक सीमित था। वैसे, तत्कालीन चक्रवर्ती सम्राट बन चुके महोदय के शस्त्रागार में एक से एक हथियार भरे पड़े थे, जिनका इस्तेमाल दंतेवाड़ा में करीब 2 साल तक रहे अघोषित आपातकाल में विरोधियों व आम जनता के दमन में किया गया था। इनमें से कुछ की विदाई पहले हो चुकी, लेकिन कहीं-कहीं छिपकर अनुकूलित होने का प्रयास कर रहे कुछ महानुभाव अब भी बने हुए हैं।
इस तरह आतिशबाजी वाली विदाई की नौबत नहीं आती, अगर इस बात का ध्यान रखा जाता-
“कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से।”
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इस बार होगा बड़ा घमासान
जैसा कि इस कॉलम में हमने कहा था, नगरीय निकाय चुनाव को लेकर गोटियां फिट करने का खेल तेज हो गया है। सबसे बड़ा मुकाबला नगर पालिका दंतेवाड़ा में है, जिसके नतीजे हमेशा चौंकाने वाले होते हैं। यहां सरकार किसी की होती है, और अध्यक्ष किसी और का। इसीलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों की नजरों में इस बार यह निकाय काफी अहम है। यहां दो बार से पद पर काबिज पालिका उपाध्यक्ष का विजय रथ रोकने न सिर्फ विपक्षी कांग्रेस, बल्कि पार्टी के भीतर से भी संधि और रणनीतियां तय हो रही हैं। शह और मात के खेल में किसकी जीत होती है, यह तो वक्त ही बताएगा। वैसे भी नगर पालिका क्षेत्र में बनने वाली मतदाता सूची पर सारा खेल टिका हुआ होता है, कौन कितने नए वोटर अपने वार्ड में जुड़वाता है, इसकी होड़ मचेगी। लिहाजा इस बार वोटरों पर सबकी नजर रहेगी।
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कौन बनेगा जिलाध्यक्ष?
दंतेवाड़ा जिले में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में नए जिलाध्यक्ष की तलाश जारी है, पत्ते फेंटे जा रहे हैं, पर नाम फाइनल अब तक नहीं हुआ। सत्ताधारी भाजपा में बदलाव अवश्यंभावी है, क्योंकि जिलाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे चैतराम अटामी खुद विधायक चुने जा चुके हैं, लेकिन कांग्रेस में ऐसी मजबूरी नहीं है। इसके बावजूद ज्यादातर कांग्रेसी नेता खुद को जिलाध्यक्ष के तौर पर देखने लगे हैं। वैसे भी विपक्ष के जिलाध्यक्ष का ओहदा अघोषित तौर पर विधायक के बराबर होता है, क्योंकि कई मामलों में प्रशासन विपक्षी जिलाध्यक्ष से बैर मोल लेना नहीं चाहता और कंधे से कंधा मिलाकर काम करने लायक उपयुक्त माहौल बनाना चाहता है। वैसे भी यहां प्रभारी मंत्री रहने के दौरान कॉलेज के एक कार्यक्रम में पहुंचे दादी ने कलेक्टर से मजाकिया अंदाज में अपने जिलाध्यक्ष की ओर इशारा करते कहा था-इनका ध्यान रखना। ये हमारा कलेक्टर है। #
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स्वच्छ भारत कर्मी ने लगाई पैसे पर झाड़ू
जिला पंचायत दंतेवाड़ा में चेक पर आईएएस सीईओ के फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों की रकम पार करने का नया मामला सामने आया है। उक्त आईएएस का तबादला यहां से हो चुका है और मामला अब उजागर हुआ। बताते हैं कि सरकारी रकम पर झाड़ू लगाने में स्वच्छ भारत मिशन के समन्वयक का अहम रोल है, जिस पर पहले भी कई गड़बड़ियों में संलिप्तता के आरोप लगते रहे हैं। इस बार मामला पुलिस तक पहुंच गया है और आरोपी नौ-दो ग्यारह हो चुका है। इतने प्रतिभावान समन्वयक को तेज तर्रार अफसर के ठीक नाक के नीचे इतने बड़े घोटाले को अंजाम देने का भरपूर मौका कैसे मिला, यह जांच का विषय है। वैसे भी जिला पंचायत में एक से एक धुरंधर बैठे हैं, जो कई सालों से एक ही कुर्सी पर कुंडली जमाए हुए हैं।
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होगी अग्नि परीक्षा
शक्तिपीठ कॉरीडोर और रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का काम इस बार भी मानसून सीजन शुरू होने से पहले पूरा नहीं हो सका। जबकि पिछली बारिश के मौसम में ही इसके उद्घाटन की पूरी तैयारी थी और बनने से पहले वर्चुअल माध्यम से सीएम के हाथों इसका लोकार्पण भी हो गया, लेकिन काम अब तक जारी है। मानसून आगमन के बाद भी नदी के घाट की सीढ़ियां बन रही हैं और बारिश के इस सीजन में इस प्रोजेक्ट की मजबूती की अग्नि परीक्षा होगी। 90 के दशक की अरमान कोहली आयशा जुल्का अभिनीत म्यूजिकल हिट फिल्म बलमा के गाने – ये मौसम भी गया, वो मौसम भी गया, अब तो कहो मेरे सनम… फिर कब मिलोगे…?? की तरह की स्थिति इस प्रोजेक्ट की हो गई है।
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हिटमैन के ब्रिगेड ने दिलाई खुशियां
आईसीसी टी-टवेंटी वर्ल्ड का फाइनल इस बार टीम इंडिया ने जीतकर क्रिकेट प्रेमियों की झोली खुशियों से भर दी। हिटमैन रोहित शर्मा की ब्रिगेड ने यह कारनामा अंजाम दिया और दंतेवाड़ा में देर रात तक पटाखे फूटते रहे। वैसे दंतेवाड़ा में क्रिकेट का बुखार साल भर रहता है। यही वजह है कि मानसून आगमन के बावजूद यहां पर शहीदों की याद में क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन चल रहा है। कोविड के समय से यहां के आऊटडोर मिनी स्टेडियम में ऐसी हलचल की कमी महसूस की जा रही थी। अब दोबारा यहां खेल का माहौल बनना सुखद संकेत है।
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हरियाली रोपने का सीजन आया
मानसून काल में दक्षिण बस्तर में फिर से पर्यावरण के प्रति लोगों की चिंता और जागरूकता बढ़ने लगी है, यह अच्छी बात है, पर पौधरोपण अभियान में हर साल जितने पौधे रोपे जाते हैं, उतने उगते और सही सलामत रहते तो शायद वन्य जीवों से किसी को छिपने की जगह भी नहीं मिलती, हिरणों की तरह तेंदुआ-भालू भी बस्तियों तक आ पहुंचते। खास बात यह है कि वन विभाग के अलावा दीगर विभागों में भी पौधे रोपने की होड़ मची है। इसके पीछे का गणित क्या होता है, यह जग जाहिर है। बाद में पौधों को न मजबूत ट्री गार्ड नसीब होता है, न ही सिंचाई की सुविधा और पौधे अगले साल के वृक्षारोपण के लिए जगह खाली कर देते हैं।
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