‘दादाओं’ के खिलाफ ‘दादी’ के बोल

साप्ताहिक व्यंग्य कॉलम शब्द बाण  (भाग-20)

शैलेन्द्र ठाकुर @ दंतेवाड़ा

‘दादी’ के नाम से लोकप्रिय पूर्व मंत्री और वर्तमान कोंटा विधायक ने इस बार अंदरवाले ‘दादाओं’ की परवाह किए बगैर विधानसभा में फोर्स, खासकर सीआरपीएफ की जमकर तरफदारी की। इतना ही नहीं दादाओं के खिलाफ बोलते हुए सुकमा-बीजापुर की तुलना श्रीलंका के जाफना से कर दी। इतने लंबे रिकॉर्ड कार्यकाल में अक्सर फोर्स को घेरने वाले दादी का यह रूप देखकर कांग्रेसी-भाजपाई दोनों हैरान रह गए।

फटी टंकी, निकल गया कमीशन

क्रेडा विभाग की करतूतों पर आम तौर पर किसी की नजर नहीं पड़ती और इस विभाग की गुस्ताखियां बच्चों का दूध-भात समझ कर माफ कर दी जाती हैं। दंतेवाड़ा जिले में ड्यूल सोलर पंप के नाम पर जमकर कमीशनखोरी चलती रही है। विभागीय ठेकेदार घटिया क्वालिटी की टंकियां लगाकर चलते बनते हैं। अब जहां-तहां टंकियां फटी पड़ी हैं और विभाग टंकियां बदल भी नहीं पा रहा है

महतारी वंदन और नियमों का जाल

जी का जंजाल बनी चुनावी घोषणा से निपटने के लिए भाजपा सरकार ने सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे वाली नीति अपना ली है। यही वजह है कि महतारी वंदन योजना में फॉर्म भरने को लेकर उत्साहित ज्यादातर महिलाओं का उत्साह योजना के नियम-कायदों को देखकर ठंडा पड़ता जा रहा है। उम्र न्यूनतम 21 साल, शादीशुदा होने की शर्तों ने पहले ही हितग्राहियों की संख्या घटा दी थी, इसके बाद पेंशनर, नौकरीपेशा परिवार, करदाता और कई अनेक क्राइटेरिया के जाल में उलझकर दावेदार महतारियाँ इस दौड़ से बाहर होती जा रही हैं।

बैलाडीला मार्ग बना आफत

राज्य में सरकार बदल गई लेकिन दंतेवाड़ा-बैलाडीला मार्ग की हालत नहीं सुधरी। विधानसभा चुनाव में बैलाडीला निवासियों ने सरकार के खिलाफ वोटिंग करके अपना आक्रोश जता दिया। यानी कांग्रेस उम्मीदवार को खामियाजा भुगतना पड़ा था। अब सामने लोकसभा चुनाव है, और केंद्र-राज्य मिलाकर भाजपा की डबल इंजन सरकार ही पटरी पर दौड़ रही है। अगर चुनाव से पहले तक सड़क की बदहाली में कोई सुधार नहीं हुआ तो भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार को भी बैलाडीला वासियों के कोप का भाजन बनना पड़े, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

बगैर ईएमटी दौड़ रही महतारी एम्बुलेंस

जाते-जाते भूपेश सरकार ने महतारी एक्सप्रेस एम्बुलेंस 102 सेवा जिस कंपनी को ठेके पर दिया, उसने ईएमटी के पद में कटौती कर दी। अब प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती महिला को लेने सिर्फ पायलट यानी ड्राइवर ही जाता है, रास्ते में प्रसव की नौबत आई, तो फिर प्रशिक्षित ईएमटी नहीं होने से भगवान भरोसे काम चलता है। कुल मिलाकर जो मर्ज पिछली सरकार ने दिया, उसका इलाज करने में नई सरकार जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।

उधार में निपटेगा फागुन मेला

फागुन मेला के लिए पर्याप्त राशि का प्रावधान इस बार भी सरकार ने नहीं किया। यानी पिछली बार की तरह इस बार भी दंतेवाड़ा का फागुन मेला उधार में ही निपटेगा। जगदलपुर विधायक ने तो विधानसभा में बात रखकर बस्तर दशहरे के लिए बजट बढ़वा लिया, लेकिन दंतेवाड़ा के विख्यात फागुन मेला का जिक्र तक सदन में नहीं हुआ।

ओवरब्रिज बना आकाश कुसुम

केंद्रीय अंतरिम बजट में छत्तीसगढ़ को 7 रेल्वे ओवरब्रिज मिलने को लेकर जिस तरह खुशियां मनाई जा रही थीं, उससे दंतेवाड़ा वासियों को लगा कि उनकी भी मुराद पूरी हो गई होगी। लेकिन सूची का खुलासा हुआ, तो दंतेवाड़ा के आंवराभाटा रेल्वे ओवरब्रिज का कहीं नामोनिशान नहीं दिखा। फिर यह सपना आकाश कुसुम की तरह हाथ से दूर छिटकता नजर आया।
आखिर हर छोटे-बड़े कार्य की शुरुआत करने दंतेवाड़ा में माई दंतेश्वरी के चरणों में शीश नवाने आने वाले माननीयों, महोदयों को यहां की इस बड़ी समस्या की याद क्यों नहीं आती है, यह बड़ा सवाल है।

पीएम आवास पर लगवा रहे चूना

प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर टारगेट पूरा करने का इतना ज्यादा दबाव बना हुआ है कि पलस्तर यानी प्लास्टर करते ही तुरंत कच्चे पलस्तर पर चूना पुताई करने को कहा जा रहा है, ताकि फ़ोटो खींचकर कम्पलीट होने का सबूत दे सकें, जबकि पलस्तर सूखने और कुछ दिन पानी की क्युरिंग करने के बाद ही चूना पुताई सम्भव है। लेकिन टारगेट के दबाव में हितग्राही और सरकारी अमले के बीच इसी बात को लेकर आये दिन टकराव होने लगा है। हितग्राहियों का तर्क होता है कि आवास रहने के लिए बना रहे हैं, न कि सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए। तो फिर कच्चे प्लास्टर पर चूना वाला ब्रश कैसे चला दें?

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